सूर्यग्रहण, एक खगोलीय घटना

सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसको लेकर आमतौर पर लोगों में भ्रम बना रहता है। परन्तु ग्रहण का कोई आध्यात्मिक महत्त्व हो अथवा न हो, दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए यह अवसर किसी उत्सव से कम नहीं होता। क्योंकि ग्रहण ही वह समय होता है जब ब्रह्मांड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं घटित होतीं हैं जिससे कि वैज्ञानिकों को नये नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है। ग्रहण के निरीक्षण से वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के कई रहस्यों का पता लगाया है। 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक नें सूर्य ग्रहण के अवसर पर की गई खोज के सहारे वर्ण मंडल में हीलियम गैस की उपस्थिति का पता लगाया था। आईन्स्टीन का यह प्रतिपादन भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर ही सही सिद्ध हो सका, जिसमें उन्होंने अन्य पिण्डों के गुरुत्वकर्षण से प्रकाश के विचलन की बात कही थी।

हमारे भारतवर्ष के प्राचीन खगोल शास्त्रियों ने ग्रहण के पूर्व अनुमान में महारथ हासिल की थी। सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड किलोमीटर है और सूर्य के प्रकाश को धरती तक पहुंचने में 8:30 मिनट का समय लगता है। सूर्य का व्यास चंद्रमा के व्यास से 400 गुना ज्यादा है, और सूर्य की पृथ्वी से दूरी भी चंद्रमा की पृथ्वी की दूरी से 400 गुना अधिक है। यही कारण है कि धरती की सतह से सूर्य और चंद्रमा लगभग समान व्यास के दिखाई देते हैं।

21 जून को होगा वलयाकार सूर्यग्रहण

इस वर्ष 21 जून अमावस्या को साल का पहला सूर्यग्रहण लगेगा जो भारत मे दृष्टिगोचर होगा। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के लिए यह और भी दिलचस्प होगा क्योंकि पूर्ण ग्रहण का पथ यहीं से होकर गुजरेगा। पूर्ण वलयाकार सूर्यग्रहण जहाँ से देखा जा सकेगा उनमे यमुनानगर, बाबैन, कुरुक्षेत्र, पेहवा, सिवन के आसपास के गाँव शामिल हैं। भारतीय मानक समय अनुसार सूर्य ग्रहण का आरंभ 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर बाद 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा। वहीँ कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का समय 10 बजकर 21 मिनट 03 सेकंड से 13 बजकर 47 मिनट 26 सेकंड तक होगा। पूर्णत: वलयाकार ग्रहण 12:01 मिनट से 12:02 मिनट के बीच में केवल 38 सेकंड्स के लिए होगा।

कब होता है सूर्यग्रहण

जब चंद्रमा अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीचोबीच आ जाता है तो इस खगोलीय घटना के कारण सूर्य को ग्रहण लग जाता है! सूर्यग्रहण के समय चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। परंतु हर अमावस्या को भी सूर्य ग्रहण नहीं लगता क्योंकि चंद्रमा का कक्ष पृथ्वी का सूर्य को चक्कर लगाने वाले कक्ष से लगभग 5 डिग्री पर झुका हुआ है। अतः यह घटना बहुत दुर्लभ हो जाती है। सूर्यग्रहण चंद्रमा की स्थिति के अनुसार तीन प्रकार से परिलक्षित होते हैं, आंशिक सूर्यग्रहण, वलयाकार सूर्यग्रहण एवम पूर्ण सूर्यग्रहण।
वलयाकार सूर्यग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सामान्य की तुलना में धरती से दूर हो जाता है। नतीजतन उसका आकार इतना नहीं दिखता कि वह पूरी तरह सूर्य को ढक ले। वलयाकार सूर्यग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारे पर सूर्य रिंग यानी अंगूठी की तरह काफ़ी चमकदार नजर आता है। आने वाला ग्रहण इसी श्रेणी का है।

नंगी आँखों से नहीं देखना चाहिए सूर्यग्रहण

ग्रहण के वक्त सूर्य की तरफ सीधे नंगी आंखों से बिलकुल नहीं देखना चाहिय क्यूंकि इस समय सूर्य से निकलने वाला प्रकाश, कम तीव्र होते हुए भी, हमारी आँखों को सीधा नुक्सान पहुंचा सकती हैं। होममेड फिल्टर्स या साधारण सनग्लासेज से भी सूर्य की तरफ न देखें फिर चाहे वह डार्क सनग्लास ही क्यों न हो। ग्रहण को देखने के लिए स्पेशल सोलर फिल्टर्स, एक्लिप्स ग्लास या सोलर व्यूअर्स का इस्तेमाल करना चाहिए। कैमरा, टेलिस्कोप या दूरबीन से भी ग्रहण के वक्त सूर्य को सीधे बिलकुल न देखें।

एस.पी.एस.टी.आई करेगी सूर्यग्रहण का लाइव प्रसारण

इस दिन एन.जी.ओ. सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया (एस.पी.एस.टी.आई) टेलिस्कोप एवम अन्य उपकरणों के माध्यम से इस खगोलीय घटना को लाइव दिखाने जा रही है। इसके लिए कुरुक्षेत्र के पास कुछ गाँव में जगह भी निर्धारित की गयी है। विशेष तौर पर पंजाब विश्वविद्यालय की प्रोफेसर केया धर्मवीर खगोल वैज्ञानिकों के साथ ग्रहण के वैज्ञानिक तथ्यों पर बातचीत करेंगी। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी के छात्र, अध्यापक एवम अन्य सभी लोग इस प्रसारण का सोसाइटी के फेसबुक पेज के माध्यम से घर बैठे आनंद ले सकेंगें एवम लाइव बातचीत के जरिये अपने सवाल पूछ सकेंगे। यह ऑनलाइन प्रसारण सोसाइटी एवम विज्ञान एवम प्रोद्योगिकी विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से कुरुक्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्ट मोबाइल साइंस लैबोरेटरी- सर्कस ऑफ साइंस, विज्ञान का जंतर मंतर के अंतर्गत होगा।

इन स्थानों पर दिखेगा वलयाकार सूर्यग्रहण

21 जून को होने वाला सूर्यग्रहण विश्व मे सभी जगह नहीं दिखाई देगा बल्कि अधिकतर देशों में आंशिक रूप से दिखेगा। केवल ताइवान, चीन, भारत, पाकिस्तान, ओमान, यमन, सऊदी अरब से होते हुए अफ्रीका के कुछ देशों में ही पूर्ण वलयाकार सूर्यग्रहण नज़र आएगा।

भारत मे यह वलयाकार सूर्यग्रहण उत्तराखंड के कुछ हिस्सों स होते हुए, उत्तरप्रदेश के सहारनपुर, हरियाणा के यमुनानगर, रादौर, लाडवा, कुरुक्षेत्र, पेहवा, टोहाना, रतिया, सिरसा, राजस्थान के सूरतगढ़ के आसपास नज़र आएगा। देश के बाकी हिस्सों से केवल आंशिक सूर्यग्रहण ही देख जा सकेगा।

पूर्ण वलयाकार सूर्यग्रहण के पथ को देखने के लिए दिए गए लिंक से Android Application डाउनलोड करें।

Download Annular Solar Eclipse

ऐसे देखें सूर्यग्रहण का लाइव प्रसारण

सूर्यग्रहण को घर बैठे देखने के लिए सोसाइटी ने लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है जो फेसबुक पेज पर सुबह 9 बजे से चलेगा। सोसाइटी के फेसबुक पेज पर जाने के लिए, www.facebook.com/spsti/ पर फॉलो करें।

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